मो.ओबैदुल्लाह शम्सी
गिरिडीह:- हज और उमरा करके वापस अपने वतन लौटने वाले हाजियों के लिए किसी शायर ने क्या खूब कहा है कि ‘मुख्तसर ही मिल जाए जिंदगी मदीने की, सौ युगों पे भारी है एक घड़ी मदीने की, तुम वहां से लौटोगे तो पांव धो के पी लुंगा, किस्मतों से मिलती है खा़क भी मदीने की’
हज और उमरा करने वाले खुशनसीब लोगों को अल्लाह समाज में प्रतिष्ठित कर देता है।
पीरटांड़ प्रखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत सिमरकोढी़ के जमदहा ग्राम निवासी मोईनुद्दीन अंसारी पंचायत स्थित 6 अंजुमनों के हजारों लोगों में हज या उमरा करने वाले पहले व्यक्ति बनें। उमरा कर के वापस वतन लौटने पर मुईनुद्दीन अंसारी का स्थानीय लोगों ने गर्मजोशी से स्वागत किया। उनके स्वागत में महिला, पुरुष, वृद्ध, युवा और बच्चे सभी जुटे। हाथों में फूल और माला लिए लोग मोइन के घर बधाई देने पहुंचे।
लोगों से मिल रहे भरपूर प्यार और स्नेह को देख कर मोइन की आंखें भर आईं। उन्होंने कहा कि मुझे उमरा के लिए भेजने वालों का शुक्रिया। वहां पर मैंने अपने परिवार, दोस्त, रिश्तेदार, आस-पड़ोस और तमाम अहले वतन के लिए दुआ-ए-खैर किया।
मौके पर स्थानीय मुखिया प्रतिनिधि युसुफ अंसारी, बाबुजान अंसारी, मो.तौकीर अंसारी, मो.इदरीस अंसारी, राशिद अंसारी, सुबहान अंसारी एवं अन्य कई लोग उपस्थित थे।